नक्षत्रप्रकाश Astrology Blog in Hindi: 2019

Thursday, 21 November 2019

चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) बनने के जन्मकुंडली में स्थित योग


जन्मकुंडली के माध्यम से ज्योतिष का अभ्यास एक ऐसा शास्त्र है जिससे कुछ भी खंगाला जा सकता है । आनेवाले दिनो में ज्योतिष का और अच्छा अभ्यास और निरंतर संशोधन होगा । आज ज्योतिष जीवन के सर्व अंगो को छु कर उपयुक्त शास्त्र बन कर रह गया है । संख्याशास्त्रीय संशोधन तथा इंटर डिसेप्लीनरी स्डडीज से समस्त मानव जाती को इसका उपयोग निरंतर होगा


Chartered Accountants ( CA )


भारत में चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा देने वाले विद्यार्थी ।

भारत में आज ३ लाख चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास हो कर प्रॅक्स्टीस कर रहे है । भारत में हर साल टॅक्स पेअर्स की संख्या बढने से फ़ुल टाईम काम करने वाले १.५ लाख चार्टर्ड अकाउटंट्स के उपर काम का दबाव है । जैसे जैसे भारत डिजीटलाईज होगा और इकोनॉमी बढेगी टॅक्स पेअर्स की संख्या और बढती चली जाएगी । भारत में हरसाल लगभग ४० से ५० हजार स्टुडट्स दोनो गृप की परिक्षा देते है । उनमें सिर्फ़ १०% से १५ % विद्यार्थी अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास होते है । याने लगभग ४ से लेकर ५ हजार सालाना नये अकाउटंट ( CA ) भारत में जुड जाते है

चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास होने के लिए कौनसा टॅलट होना जरुरी है ?

चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास होने के लिए न्युमेरीकल Apptitude होना और साथ में Analytical Skills होना जरुरी है । हार्वर्ड युनिव्हर्सीटी ने जो टेस्ट बॅटरीज का अविष्कार किया है उससे न्युमेरीकल Apptitude और साथ में Analytical Skills  का पता चलता है । लेकीन Apptitude टेस्ट का अवेअरनेस भारत में बहोत कम है । इसलिए ज्योतिषशास्त्र पर भरोसा किया जा सकता है । ज्योतिषशास्त्र की सलाह भी महंगी नही होती । इंटरनेट से लेकर कई माध्यम से ये सलाह ली जा सकती है ।

चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास होने के लिए ज्योतिषशास्त्र योग ।

तुला लग्न के लोग या फ़िर मेष लग्न पर अमावस्या के दिन जन्मे लोगों के जन्मकुंडली में चतुर्थेश और पंचमेश का राजयोग बनता है । चतुर्थेश और पंचमेश का राजयोग अगर किसी जन्मकुंडली में हो तो जातक के Analytical Skills बडे अच्छे होते है । चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) को कई सारे चार्ट्स देखने पडते है । कई सारे रेशोज देखने पडते है । ये देखके उसका ऍनालिसीस करके रिपोर्ट तय्यार करना होता है ।
साथ में शनि और बुध भी बलवान होकर उनका युती योग हो तो व्यक्ती इस काम मे सहजता से कौशल्य प्राप्त करता है । बुधादित्य योग में भी व्यक्ती CA की क्षमता रखता है । एक जातक ने First Attempt उमर २१ में चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास की उसकी जन्मकुंडली की जानकारी इस प्रकार है । जन्मतारीख १४ दिसंबर१९८१ , जन्म का समय ११.४० पी.एम, जन्मस्थान नासीक ( महाराष्ट्र ) इसकी जन्मकुंडली में बुधादित्य योग है ।

चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास होने के लिए मानसीक खुबीया ।

चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास होने के ९०% लोगोंको बार बार परिक्षा देनी पडती है । उसके लिए पेशन्स की जरुरत होती है । शनिप्रधान व्यक्ती के पास लंबे समय तक पढाई करने का और बार बार परिक्षा देने का पेशन्स होता है । साथ में कॉंपीटेटीव्ह परिक्षा मे पास होने के लिए Attitude भी होता है ।

जिनके जन्मकुंडली में चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास होने के प्रबल योग नही वो क्या करे ?

मेरी ये ज्योतिषशास्त्र के आधार पर सलाह ये है की जन्मकुंडली का अध्ययन के बीना चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा शुरवात ना करे । अगर जन्मकुंडली में उपर लिखे योग है तो ही इस मार्ग पर चले । इस मार्ग पर चलते समय एक समय सीमा निर्धारीत करे । इससे एक फ़ायदा होगा, जीवन के बहुमूल्य वर्ष व्यर्थ नही होगे ।

अगर कोई चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा पास ना होने से जीवन व्यर्थ नही होता ।

चार्टर्ड अकाउटंट ( CA ) परिक्षा समकक्ष कई ऐसी परिक्षाए है जिसमे पासींग रेट सो प्रतिशत होता है । हर किसी के जन्मकुंडली में compitative examination योग्यता होने के बावजूद पास होने के योग नही होते है । ऐसे विद्यार्थी एम.बी.ए ( फ़ायनान्स ), Chartered Financial Analyst (CFA): CFA  जैसी परिक्षा में पास हो कर अपना करीयर बीना व्यर्थ समय गवाए शुरु करे ।

Friday, 25 October 2019

इंजिनीयर बनने के लिए जन्मकुंडली में कौनसे योग होना आवश्यक है ?




Engineering Career
Engineering Career

भारत में इंजिनीयर्स की संख्या और समस्या ।

हर साल भारत देश मे २०१४-२०१५ साल में करीबन १७ लाख स्टुडंट्स की सीट्स थी । याने १७ लाख स्टुडंट्स का दाखला हो सकता था । कई सारी इंजिनीयरींग कॉलेजेस बंद होने के कारण ये उपलब्ध सीट्स घटकर २०१७-२०१८ में लगभग १५ लाख हुई है । इसमें भी लगभग आधी सीट्स व्हेकंट है ।  याने पिछले कुछ साल से इंजिनीयरींग में अ‍ॅडमिशन लेने वालो की संख्या कम हो रही है । क्यु हो रहा है ये सब ? एकही कारण है । इंजिनीयरींग ग्रॅज्युएटस को जॉब नही मिलते । इसका एक ही कारण है । जरुरत से जादा लोग इंजिनीयरींग में अ‍ॅडमिशन ले रहे थे । उतनी जॉब मार्केट में नही है । इस देश की अर्थव्यवस्था में GDP लगातार बढ रहा है इसके बावजूद इंजिनीयरिंग के जॉब नही बढ रहे है । इसके भी पिछे अर्थशास्त्र का संकेत है डिमांड से जादा सप्लाय । भारत देश में या दुनिया में जरुरत से जादा इंजिनीयर होगे तो उनको जॉब मिलने वाली नही है ।

क्या सचमुच इंजिनीयर्स को जॉब नही मिल रही है ?

इंजिनीयर्स के लिए आज भी जॉब है लेकीन ये जॉब सही जॉब नही है । सही जॉब वो है जहा इंजिनीयर प्रॉडक्ट या प्रोसेस का डिझाईन करता है । इंजिनीयर का जॉब वो है जहा क्वालिटी में खामिया रहती है वहा प्रोसेस में सुधार लाना । Productivity को बढना । अगर ऐसा जॉब उपलब्ध है तो सही जॉब है । इसमें इंजिनीयर की value addition होने से मिलने वाली सॅलरी भी अच्छी होती है । आज सही जॉब ना मिलने के कारण जो जॉब ग्रॅज्युएट इंजिनीयर ले रहे है वो क्वॉलिटी इन्सपेक्टर के है । जिसके लिए Diploma Engineer या फ़िर Experienced Technician/ ITI एक सही Qualification है । इसके कारण सही सॅलरी के जॉब उपलब्ध नही है ।

तो क्या इंजिनियरींग में दाखला नही लेना चाहीये ?

इसका अर्थ ये नही की भारत में अब इंजिनीयर्स की आवश्यकता नही है । अगर किसी का पॅशन इंजिनीयरींग है तो उसने इंजिनीयरींग करना चाहीये । कैसे जानेंगे की किसी लडके या लडकी ने इंजिनीयरींग में दाखला करना चाहीये या नही ? जन्मकुंडली से इसबात का ग्यान हो सकता है । इंजिनीयरींग में किसी भी स्टुडंट का रुझान है ये उसकी Reasoning Apptitude,  और Intelligence से पता की जा सकती है । बुध ये ग्रह बुध्दी याने Intelligence का कारक होता है । साथ में इंजिनीयरींग में स्पीड की आवश्यकता होती है । इंजिनीयर्स को फ़ास्ट डिसीजन मेकींग करना पडता है । ये स्पीड देने वाला ग्रह मंगल है ।

जन्मकुंडली में बुध और मंगल ग्रह कें शुभ योग होने से इंजिनीयरींग का रुझान दिखता है ।

सबसे अच्छा शुभयोग बुध और मंगल का नवपंचम योग है । इसका मतलब दोनो के बीच अगर १२० अंश ( +- ५ अंश ) हो तो उसे नवपंचम योग कहा जाता है । मंगल और बुध नवपंचम करते समय अगर वायु राशी में विद्यमान हो तो इंटेलिजन्स साथ में स्पीड दोनो होते है । जिससे हर नयी टेक्नोलोजी को जल्द समझना उनके लिए आसान हो जाता है । किसी भी नये ग्यान को ग्रहण करने का उनका स्पीड तेज होता है ।

Successful IT Engineer/Design Engineer बनने के लिए कोनसे योग आवश्यक है ?

मैंने स्वयं एच आर मॅनेजर  होने के कारण कई Successful IT Engineer/Design Engineer के जन्मकुंडलीयोंका परिक्षण करके ये जाना है । बुध और मंगल का वायु राशी में ( मिथुन, तुला और कुंभ राशी ) नवपंचम योग होता है । साथ में जन्मकुंडली में बलवान गुरु केंद्र स्थान में होना आवश्यक है । अगर जन्मकुंडली में ऐसे  योग है तो व्यक्ती को अच्छे इंजिनीयरींग कॉलेज में Admission पाने के लिए Enterence Exam पास होने में आसानी होती है । साथ में अच्छे मार्क्स से इंजिनीयरींग पास होना संभव होता है ।

और कौनसे ऐसे योग है जो Successful  Engineer बनने के लिए आवश्यक है ?

जन्मकुंडली में भुमी राशी में भी ( वृषभ ,कन्या और मकर ) बुध और मंगल का नवपंचम योग होने से व्यक्ती Successful Engineer बनने की उम्मीद रख सकता है । इस योग में Successful IT Engineer/Design Engineer बनने की उम्मीद कम होती है लेकीन व्यक्ती Successful Mechanical Engineer या Civil Engineer जरुर बन सकता है । कुछ हद तक बुध और मंगल का युती योग और केंद्र योग में भी उम्मीद होती है ।

Successful Electrical/Electronics Engineer बनने के लिए कोनसे योग आवश्यक है ?

Successful Electrical/Electronics Engineer बनने के लिए जन्मकुंडली में बुध/मंगल और हर्षल का नवपंचम योग वायु राशी में होना आ्वश्यक है । बुध और मंगल का हर्षल के साथ लाभ योग होने से भी ये काम चल जाता है । बुध और मंगल का हर्षल के साथ  योग वायु राशी में ना हो कर अगर अग्नी राशी में ( मेष/ सिंह या धनु ) में होने से भी काम चल जाता है ।

इस आर्टीकल में हमने इंजिनीयरींग ability की चर्चा की है । अच्छे पद पर काम करने के लिए दशम स्थान के संबंध में राजयोग का होना आवश्यक होता है । लेकीन इंजिनीयरींग ability व्यक्ती को Job Satisfaction जरुर दिलाती है ।

Friday, 11 October 2019

क्या जन्मकुंडली से डायबेटीस होने की संभावना का अनुमान हो सकता है ?




Diabetes through Horoscope

क्या जन्मकुंडली से डायबेटीस  होने की संभावना का अनुमान हो सकता है ? ये हेडलाईन पढ कर जिसको डायबेटीस नही वो कहेगा तो क्या ? हररोज एक गोली खाने से डायबेटीस में काम चल जाता है । डायबेटीस के बारेंमे इतनी फ़िक्र क्यु करना ? शायद उन लोगों को ये जानकर हैरानी होगी की डायबेटीस में,  दवा की गोली सिर्फ़ पंद्रह साल काम करती है । वो भी दवा की मात्रा बढते जाती है । डायबेटीस एक्सपर्ट्स ये कहते है, लगभग पंद्रह साल के बाद गोली काम नही करती । फ़िर हररोज इन्सुलीन का इंजेक्शन लेना पडता है । इन्सुलीन किडनी, ऑखे और न जाने कितने शरीर के अवयव का काम बिगाडता है । पांच साल तक इन्सुलीन की इंजेक्शन लेने वाला शायद ही अपना काम ठीक से कर पाता है

भारत में डायबेटीस टाईप टु का खतरा दुनीया के देशो से अधिक है ।

आजकल डायबेटीस होने की औसत आयु खासकर भारत में घट रही है । WHO के रिपोर्ट के अनुसार ईसवी साल २०३० तक नौ करोड, अस्सी लाख भारत की आबादी डायबीटीस के लपेटे में आ सकती है । चौका देने वाली बात ये है की ये डायबीटीस टाईप टु के आकडे है । टाईप वन के मरीज अलग होगे । और भयंकर स्थिती ये की उसमे सात करोड नब्बे लाख युवा इससे पिडीत होगे ।

टाईप वन के डायबेटीस के बारे में चर्चा करना इस आर्टीकल का उद्देश नही है । टाईप टु, याने की यातॊ स्ट्रेस की वजह से या फ़िर गलत खान पान के कारण या फ़िर दोनो के कारण होने वाला डायबेटीस है । अब सवाल है क्या टाईप टु का डायबेटीस ठीक हो सकता है ? तो जबाब हा है ।

डॉ दिक्षीत का डाएट महाराष्ट्र में काफ़ी फ़ेमस हो रहा है ।

डॉ दिक्षीत के डाएट के कारण कई मराठी लोगोंका डायबेटीस और मोटापा कम हो रहा है । मुझे पता नही की भारत में इनके नाम की चर्चा है या नही । महाराष्ट्र में कई सारे उनके फ़ॉलोअर्स है जो उनके युट्युब के भाषण सुनकर डाएट कर रहे है । उनका डाएट का तरीका आसान है । दिन में सिर्फ़ दो बार भोजन करो । शक्कर कम खाऒ । इससे जादा ना वो कॅलरी की बात करते है ना वो और कोई कठीण बात बोलते है ।

क्या जन्मकुंडली से बालक का जन्म होते ही डायबेटीस होने की संभावना बताई जा सकती है ?

आज ये सब बात की चर्चा हमे नही करनी है । मेरा ब्लॉग Astrology की चर्चा करने वाला ब्लॉग है । ह्म इस बात की चर्चा करने वाले है की क्या डायबेटीस होगा इसका पता पहले से जन्मकुंडली द्वारा हो सकता है ? इसका जबाब हा है । बालक का जन्म होते ही जन्मकुंडली से इसका अनुमान लगाया जा सकता है । कैसे लगाया जा सकता है उसकी चर्चा करेंगे ।

जन्मकुंडली में शुक्र और बृहस्पती वक्री होने से कई बिमारीया होने की संभावना होती है ।

हर किसी के जन्मकुंडली बारह ग्रह होते है । बारह राशीया तथा बारह स्थान होते है । ग्रहो का वक्री होना ये कन्सेप्ट ज्योतिषशास्र की अलग पहेचान है । जो बारह ग्रह बारेंमे Astrology में सिध्दांत है, Astronomy सुर्य और चंद्र को ग्रह मानती नही । Astronomy के हिसाब से सुर्य तारा ( Star ) है  और चंद्रमा उपग्रह है । राहू और केतू आकाश में ऑखो से या किसी अन्य साधन से नही दिखते इसलीए Astronomy में उसका कोई अस्तित्व नही है । फ़िरभी राहू और केतू का असर मानवी जीवन में है इसलीए ज्योतिषशास्त्र राहू और केतू को ग्रह मानता है ।
ज्योतिषशास्त्र से ग्रह वो होते है जो हमे नक्षत्र से मिलने वाले फ़ल ग्रहण करकें व्यक्ती तथा जातक के उसके परीणाम पहुचाते है । Astrological Planets are receivers of effects produced by constellation as well as transmitter in the form of own characteristics to human and non human on earth. इसलिए नक्षत्रज्योतिष और सुक्ष्म है ।

ग्रहो का वक्री होना ( planets retrograde ) ये टर्म Astronomy में नही है । क्यु की Astronomy sun centric theory based है, और Astrology geocentric theory based है । इससे जादा चर्चा ग्रहो के वक्री होने के बारें मे करना ठीक नही क्योंकी आर्टीकल लंबा हो सकता है ।

कोई भी व्यक्ती Astrosage Mobile Andriod Application के माध्यम से अपनी जन्मकुंडली तय्यार करके स्पष्ट्ग्रह की टेबल से जन्मकुंडली में शुक्र और बृहस्पती वक्री है इसका पता अनुमान कर सकता है । जन्मकुंडली में शुक्र और बृहस्पती वक्री होनेसे हरबार, हर उम्र मे हर व्यक्ती को जन्म से डायबेटीस होने संभावना नही होती । दो व्यक्ती का उम्र समान है । खान पान भी समान है । नोकरी या व्यवसाय में होने वाला टेन्शन ( Mental Stress ) भी समान है । ऐसी अवस्था एक व्यक्ती के जन्मकुंडकी में शुक्र और बृहस्पती दोनो वक्री है तो इस व्यक्ती को डायबेटीस होने की संभावना जादा है ।

पाठकोंको वक्री ग्रह अपने जन्मकुंडली में है या नही है आसानी से समझ में आने के लिए स्पष्टग्रह की तालीका का चित्र या दिया है । इस तालीका में अगर ग्रहो के सामने इंग्रजी अद्याक्षर ( R )लिखा है तो वो ग्रह वक्री है इसका अनुमान किया जा सकता है । खास कर किसी पाठक को अपने जन्मकुंडली में शुक्र और बृहस्पती दोनो के सामने ( R ) दिखता है तो ये डायबेटीस होने का संकेत है ।




वक्री शुक्र के कारण endocrine glands के काम में बाधा आती है ।

आपने अगर मानवशरीर शास्त्र का अध्ययन किया हो, तो उसमें ये लिखा है की पिट्युटरी ग्लॅडसे निकलने वाले स्त्राव ( pituitary gland secretion ) से थाईराईड ग्रंथी के स्त्रावो ( thyroid gland secretion ) का नियंत्रण होता है । और थाईराईड ग्रंथी के स्त्रावो से पॅक्रीया से निकलने वाली इन्शुलीन स्त्राव ( insulin secretion ) नियंत्रीत होती है । अगर जन्मकुंडली में शुक्र वक्री हो तो ये पुरी सायकल अनियंत्रीत होती है । अगर व्यक्ती का रोज का काम स्ट्रेस से भरा हो तो इसमें और बाधा आती है । और व्यक्ती डायबेटीस टाईप टु की शिकार होती है ।

वक्री गुरु के कारण metabolism अनियंत्रीत होता है ।

metabolism एक complex process है । इस प्रक्रीया को बृहस्पती नियंत्रीत करता है । बृहस्पती वक्री होनेसे metabolism process अकार्यक्षम हो जाता है । उससे मोटापा तो बढता है और साथ में अकारण व्यक्ती जादा खाना खाता है । उससे और मोटापा बढता है । खाने की मात्रा जादा और इन्सुलीन की मात्रा कम होने से डायबेटीस होने का और एक कारन बढता है ।

भारत में ही क्यु डायबेटीस के मरीज जादा है ?

दुनिया में Career by Passion का नियम है । जो व्यक्ती जिस काम को करना पसंत करे उस काम को उसे दिया जाता है । व्यक्ती अपने गट फ़िलींग से या फ़िर किसी और क्षेत्र में खुब कमाई है इसलिए Career चयन नही कर सकता । भारत अविकसीत देश होने से स्कुल में या कॉलेज में इसकी सिस्टम नही है । भारत एक अकेला देश है जहा weekly working hours 48
है । हर devloped country में weekly working hours 45 है । जिसके कारण हररोज नौ घंटे काम करके लोग हप्ते मे सिर्फ़ पांच दिन काम करते है । भारत में छे दिन काम लगभग हर प्रायव्हेट संस्थानो में है । जिससे हप्ते में सिर्फ़ एक छुट्टी होने से  काम के तनाव से मुक्ती नही मिलती । इसके साथ आठ घंटे से जादा काम करवाना मालीकाना हक है । प्रायव्हेट संस्थानो में इस प्रकार ओव्हर टाईम करवाया जाता है जो व्यक्ती के स्ट्रेस की मात्रा को और बढाता है । इस प्रमुख कारन के सिवा और कई कारन है ।

ज्योतिषशास्त्र के कई फ़ायदे है ।

अगर जन्मकुंडली बालक के जन्म होते ही बनवायी जाए तो वक्री शुक्र और बृहस्पती का ग्यान जल्द होता है । संतान को जादा स्ट्रेस होने से डायबेटीस हो सकता है ये जान कर माता- पिता उसे ऐसी शिक्षा दे सकते है उससे व्यक्ती करीयर करे लेकीन स्ट्रेस ना बढे । ये संभव है । करीयर टेस्ट करने से व्यक्ती का रुझान समझ में आ सकता है । इस रुझान से ये पता चल सकता है की व्यक्ती कोनसे क्षेत्र में करीयर आसानी से बीना स्ट्रेस के करीयर कर सकता है । ऐसे व्यक्ती ने कभीभी CA, MPSC, UPSC या  डॉक्टर बनने की कोशीश नही करनी चाहीये । करंट रिसर्च ये बताता है की दुनिया में करीयर करने के ३०,००० क्षेत्र है । और २९,००० क्षेत्र ऐसे है जहा वो क्षेत्र की शुरवात में competetive examination नही है । व्यक्ती चाहे तो इन क्षेत्र में अपनी लगन से उतना ही कमा सकता है जितना अन्य क्षेत्रो में कमाया जा सकता है ।  इसके बावजूद अगर डायबेटीस होता है तो योग और डाएट संभालकर कर नियंत्रण में लाया जा सकता है । ये जान कर हैरानी होगी की महाराष्ट्र में सिर्फ़ डॉ दिक्षीत डाएट से कई लोग डाईबेटीस से मुक्त हुवे है ।

इस आखरी पॅराग्राफ़ को गौर करे तो भारत की डायबेटीस के मामले में National Human Resources को डायबेटीस से मुक्ती दिलाई जा सकती है ।

ज्योतिषशास्त्री नितीन जोगळेकर
फ़्री लान्स ह्युमन रिसोर्सेस कन्सलटंट
करीयर कौन्सीलर
चिंचवड पुणे ४११०३३
Whatsapp 9763922176

Friday, 4 October 2019

उधार दिया और मैं बरबाद हो गया ।


उधार दिया और मैं बरबाद हो गया । या उधार दिया और मेरा धंदा चौपट हो गया । ये बात हम सब लोगों ने कई बार सुनी होगी । देखी भी होगी । लेकीन ये बात हर किसी के साथ नही होती । किसी किसी के साथ होती है । मेरे पास कई लोग ज्योतिष मार्गदर्शन के लिए आते है । जिनके कमाई का कुछ हिस्सा वो दोस्तों को उधार देते है जो कभी वापस नही आता । या फ़िर धंदे में उधार देते है जो वापस नही मिलता । मेरे एक क्लायंट ने अपने नाम कर्जा ले कर उधार दिया था । दोनो के बीच दोस्ती में ये वादा था की जो भी हर महिना कर्जा चुकाने के किए किश्त होगी वो दोस्त चुकाएगा । ऐसा हुवा नही । मेरे क्यायंट का दोस्त वादे करता रहा लेकीन निभाया नही ।

महाराष्ट्र में एक कवी थे जिनका नाम आनंदफ़ंदी था । उन्होने एक कविता लिखी है । उसमे वो कहते है की दोस्तों के उपर तु खर्चा कर लेकीन किसी का कर्जा अपने सर के उपर ना लेना । ये रास्ता तेढा है । फ़िरभी ये तेढे रास्ते लोग क्यु चलते है ?

क्यु ऐसा होता है । और अगर होता है तो उसका का कोई उपाय तो होगा ?  पहले चर्चा इस बात पे होगी की ऐसा क्यु होता है ?

जन्मकुंडली में ऐसे योग होते है जिसमें लोग दोस्तोंके बहकावे में आकर या तो खर्चा बढाते है । किसी के कर्जे को शुअरीटी देते है । अपने धंदे से उधार देते है ।  या फ़िर उसको कर्जा नही मिलता इसलिए अपने नाम पे कर्जा लेते है और उसका महिने का किश्त खुद चुकाते रहते है ।

एक जन्मकुंडली का चित्र देखते है ।

  जिसमे ग्यारहवे स्थान में अगर राहू विद्यमान हो तो लोग ऐसी गलतीया करते है । या फ़िर छ्टे स्थान का मालीक बारहवे स्थान में राहू के साथ विद्यमान हो तो उसे धोका होता है । ये धोका फ़िर दोस्त ही नही कोई भी दे सकता है ।
  
अब दुसरा जन्मकुंडली का चित्र देखते है ।


 छटे स्थान में मंगल विद्यमान हो तो कर्जा बिना मतलब का लिया जाता है । अगर छटे स्थान का स्वामी मंगल हो और वो बारहवे स्थान में विद्यमान हो तो व्यक्ती कर्जा चुका नही सकता । कर्जा लेने का कारण भी टाला जा सकता था लेकीन व्यक्ती अपने फ़ुजूल खर्चे के लिए कर्जा लेता है ।

कर्जा अपने लिए लिया हो, धोके से शुअरीटी बनने के कारण कर्जे के लिए जिम्मेदार बनकर उतारना पड रहा हो ; कर्जा तो दुश्मन है । क्योंकी मेहेनत की कमाई ब्याज में चुकानी पडती है । अगर कर्जा घर खरीदने में लगता है तो घर की किंमत कुछ साल बढती है । उससे कर्जे के उपर दिया जाने वाला ब्याज का बोझ  होता नही । लेकीन कार खरीदते समय हायर पर्चेस हो या और कुछ , जिसकी किमत घटती है वो कर्जा तो दुष्मन है ।

इस समस्या का ज्योतिषशास्त्रीय हल क्या हो सकता है ? क्या उपाय है ? ये अब समझते है ।

इसी ब्लॉग पर हमने छोटा कर्जा चुकाने का उपाय देखा है । अगर ब्लॉग को कोई पहली बार पढ रहा हो तो उसकी जानकारी के लिए ये लिंक को क्लिक करके वो उपाय के बारे में जाने ।


ये सब समस्या मंगल इन दो अशुभ स्थानो में होने से होती है । इसका समाधान लाल मुंगा पहन कर नही होता । लाल मुंगा  मंगल की शक्ती बढाता है । हमे मंगल की अशुभता कम करने का उपाय करना जरुरी होता है ।

मंगल यंत्र का मंगलवार को पुजन तथा ऋणमोचन स्तोत्र के पाठ से  कर्जा चुकाना हो या फ़िर उधार वापस पाना हो  दोनो समस्या का निवारण होना संभव है ।

देखते है मंगल यंत्र कैसे दिखता है और कहा मिलता है । किसी किसी शहर में एक या दो दुकान में ऐसे यंत्र मिलते है इसलिए लोग परेशान होते है ये सोचकर मै ने मंत्र का चित्र तथा साथ में अमेझॉन की लिंक दिया जिससे ये यंत्र पाना आसान हो । मंगल यंत्र विधीवत स्थापना के बाद हर मंगलवार को रोली लगाकर पुजा करे साथ में लाल फ़ुल अर्पण करे । समस्या समाप्त होने पर मंगल यंत्र किसी बहते पानी में विसर्जन करे ।

श्री मंगलयंत्र   https://amzn.to/31SJTcw


साथ में ये ऋणमोचन स्तोत्र का पाठ हररोज करना भी आवश्यक है ।

।।ऋणमोचन मंगलस्तोत्रम्।।

मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:।
स्थिरामनो महाकाय: सर्वकर्मविरोधक:।।

लोहितो लोहिताश्वश्च सामगानां कृपाकरं।
वैरात्मज: कुंजौ भौमो भूतिदो भूमिनंदन:।।

धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्ति समप्रभ।
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्।

अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:।
वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रद:।।

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यव:।
भयक्लेश मनस्तापा: नश्यन्तु मम सर्वदा।।

अतिवक्र दुराराध्य भोगमुक्तजितात्मन:।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

विरञ्चि शुक्रादिविष्णुनां मनुष्याणां तु कथा।
तेन त्वं सर्वसत्वेन ग्रहराजो महाबल:।।

पुत्रांदेहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गत:।
ऋणदारिद्रयं दु:खेन शत्रुणां च भयात्तत:।।

एभिद्वादशभि: श्लोकैर्य: स्तुति च धरासुतम्।
महतीं श्रियमाप्नोति ह्यपरा धनदो युवा:।

।। इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्त ऋणमोचन मंगलस्तोत्रम् ।। 


अगर समस्या जादा हो तो संकल्प के साथ हनुमान चालिसा के सौ पाठ करने से समस्या की तिव्रता कम होगी ।

वाचक इस समस्या पढे और साथ में उपाय का प्रयोग करे ।

जीवन में और कोई समस्या हो तो मार्गदर्शन हेतू संपर्क करे ।

ज्योतिषशास्त्री नितीन जोगळेकर
चिंचवड पुणे
व्हाटस अप 9763922176

Monday, 30 September 2019

जन्मकुंडली से व्यक्ती कौनसे रोग से पिडीत हो सकता है ये रोग होने के पहले समझता है ?

क्या किसी डॉक्टर को बच्चे का जन्म होते ही, बच्चे को आगे जीवन में कौनसे बिमारीसे झुंझना पडेगा इसका ग्यान हो सकता है ? इसका जबाब नही होगा । मेडीकल की कोई ब्रांच इसका पता लगाने में सक्षम नही है । दुसरा सवाल ये है क्या व्यक्ती को आगे होने बिमारीका पता पहलेसे लगने से बिमारी टाली जा सकते है ? इसका जबाब हा है । अगर व्यक्ती को ये पता चले की मैं आगे जाकर कौनसी शारिरीक या मानसीक बिमारीसे पिडीत होने वाला हू ; तो व्यक्ती उससे बचाव कर सकता है । कौनसी  बिमारी किन कारणों से होती है ये जानकर अपनी दिनचर्या, खान-पान में बदलाव लाकर, बुरी आदतो को छोडकर, और कुछ प्रिव्हेंटीव्ह उपाय करता है तो बिमारीसे बचाव हो सकता है । अगर बिमारी होनी ही है तो उससे होने वाला नुकसान, जैसे इमर्जन्सी में हॉस्पीटल में भर्ती  होनेसे होने वाला नुकसान कम किया जा सकता है । बिमारी नियंत्रण में रखकर हररोज काम भी कर सकता है । बिमारी में उपचार का  खर्चा कम कर सकता है ।

जन्मकुंडली ऐसा साधन है जिससे मानवी जीवन को सही मार्गदर्शन मिलता है । मानवी जीवन में कई सारी समस्याए होती है । इस आर्टीकल और इससे जुडे आर्टीकल में मैं Medical Astrology की जादा चर्चा करुंगा । व्यक्ती का जन्म होते ही उसकी जन्मकुंडली बनाई जा सकती है । जैसे ही जन्मकुंडली बनती है ग्यानी ज्योतिषी व्यक्ती की आयुमर्यादा, होने वाली संभाव्य बिमारीया तथा उसका काल याने कब कौनसी बिमारी होगी उसके बारें में जान सकता है ।

भारतदेश में हो या दुनियाभर में prevention is better than cure इस विचार का लाभ लेने वाले व्यक्ती कम होते है । अपनी जीवनशैली ( Life Style ) को नियंत्रीत नही कर पाते इसलीए कुछ होने के बाद ही उसका इलाज ढुंढते है । ज्योतिषशास्त्र प्राचीन भारतीय शास्त्र है । इसमें दोनो तरीको सें ( Preventive and Reactive ) मानवी जीवन को मार्गदर्शन करने की क्षमता है । साथ में मानवी जीवन की हर समस्या का समाधान ढुंढकर मार्गदर्शन देने की क्षमता रखता है ।

इस आर्टीकल की शुरवात में हमने ये सवाल पुछा था की व्यक्ती का जन्म होते ही क्या आगे चल कर होने वाली बिमारीयों का पता चल सकता है ? ज्योतिषशास्त्र इसके लिए सक्षम है । ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दिन में बारह राशी की जन्मलग्न कुंडली ( Rising Sign based Horoscope or Asendent Horoscope ) से व्यक्ती के छटे भाव याने रोग स्थान कें बारें में जाना जा सकता है । छटे भाव का स्वामी की स्थिती तथा छ्टे भाव में बैठे ग्रहो सें होने वाली बिमारीयों का अनुमान किया जा सकता है । लग्न राशी का स्वामी और सुर्यकी स्थिती से रोग प्रतिरोधक शक्ती ( Immunity ) का अनुमान किया जा सकता है ।


अगर ज्योतिषशास्त्र की क्षमता कें बारें मे अधिक जानकारी ना रखने वाले को ये जानकर आश्चर्य होगा की व्यक्ती का जन्म होते ही जन्मकुंडली बनाई जाए तो अभी अभी जन्मे बच्चे की अगर कोई disability याने विकलांगता का पता भी चल सकता है । कई बार ये बाद में पता चलता है की बच्चा mentally challenged है या फ़िर autism के कारण पढने लिखने में कमजोर होगा ।

ये अगर पहले पता चलता है तो उमर पांच तक कई ऐसे उपचार आयुर्वेद में है जिससे mentally challenged या autism का कम उम्र में उपचार करके उसके की लक्षणॊ कम कम किया जा सकता है ।

इसी तरह सामान्य व्यक्ती को कौनसे प्रकार की बिमारीया सामान्य रुप से परेशानी दे सकती है उसका भी अध्ययन करके योग तथा अन्य उपाय करके उससे बचाव करना संभव है ।

इस आर्टीकल में कौनसे लग्न को कौनसी बिमारीया जादा हो सकती है इसकी जानकारी लेंगे । अगर लग्न का स्वामी और सुर्य बलवान हो तो इन बिमारीयो का असर कम होगा । वो बिमारीया chronic नही होगी । अगर लग्न का स्वामी और सुर्य बलवान ना हो तो बिमारीया chronic हो सकती है ।

जन्मकुंडली के लग्न स्थान का अंक
लग्नस्थान के अंक से समझने वाली राशी
इस जन्मलग्न राशी में जन्मे व्यक्ती को सामान्य रुप से होने वाली बिमारीया
मेष
इनके छटे स्थान में कन्या राशी होने से पाचन शक्ती कमजोर होना सामन्य रुप से दिखाई देता है
वृषभ
तुला राशी छटे स्थान में होने सें मुत्रपिंड से जुडी बिमारीया जैसे किडनी स्टोन, मुत्रमार्ग संसर्ग ( urinary infection ) य़ा फ़िर मुत्र की बिमारीया सामान्य रुप से सताती है
मिथुन
वृश्चिक राशी छटे भाव में होने से बवासीर और व्यक्ती का आचरण नैतीक ना हो तो गुप्तरोग जैसी बिमारीया या जननांगो के संसर्ग से होने वाली बिमारीया सामन्यरुप से सताती है

  
जन्मकुंडली के लग्न स्थान का अंक
लग्नस्थान के अंक से समझने वाली राशी
इस जन्मलग्न राशी में जन्मे व्यक्ती को सामान्य रुप से होने वाली बिमारीया
कर्क
धनु राशी छटे स्थान में होने से इसका संबंध spinal cord याने मज्जारज्जू से संबंधी बिमरीया जैसे स्पॉंडिलीसीस, लिव्हर से जुडी बिमारीया का प्रभाव सामान्य रुप से होता है ।
सिंह
मकर राशी छटे स्थान में होने से हड्डीयो संबंधीत बिमारी या फ़िर घुटने की बिमारीया सामान्य रुप से जादा सताती है ।
कन्या
कुंभ राशी छटे स्थान में होने से व्हिटामीन बी की कमजोरी से  की बिमारीयो का प्रभाव जादा होता है । इसमें पाचन संस्था से लेकर जनरल हेल्थ खराब होना, शरीर कमजोर बनना ऐसी बिमारीया सामान्य रुप से सताती है ।

जन्मकुंडली के लग्न स्थान का अंक
लग्नस्थान के अंक से समझने वाली राशी
इस जन्मलग्न राशी में जन्मे व्यक्ती को सामान्य रुप से होने वाली बिमारीया
तुला
मीन राशी छ्टे स्थान में होने से व्यक्ती को शारिरीक कम मानसीक बिमारीया जादा सताती है ।
वृश्चिक
मेष राशी छटे स्थान में होने से सरदर्द, मायग्रेन, सायनस जैसी बिमारीया जादा सताती है ।
धनु
वृषभ राशी छटे स्थान में होने से कफ़, खासी टॉन्सील्स या थाईराईड की बिमारी हो सकती है ।


जन्मकुंडली के लग्न स्थान का अंक
लग्नस्थान के अंक से समझने वाली राशी
इस जन्मलग्न राशी में जन्मे व्यक्ती को सामान्य रुप से होने वाली बिमारीया
१०
मकर
मिथुन राशी छटे स्थान में होने से सर्दी, कफ़ जादा होने अस्थमा या ब्रोकांयटीस जैसी बिमारीया हो सकती है ।
११
कुंभ
कर्क राशी छ्टे स्थान में होने से सामान्य रुप से खराब पानी पिने से जल्दी पेट खराब होने की बिमारी हो सकती है ।
१२
मीन
सिंह राशी छटे स्थान में होने से ह्रदय विकार से आवश्यक  होता है ।

उपर विवेचन से जन्मकुंडली द्वारा शरीर में जो सामान्य रुप से बिमारीया होती है इसके बारें में अनुमान किया जाता है । कुछ बिमारीया शारिरीक होती है । कुछ मानसीक बिमारीया होती है । कर्क, वृश्चिक और मीन राशी में चंद्र होने से व्यक्ती भावनाओंका नियंत्रण कर नही सकता और मानसीक बिमारीयो का शिकार हो जाता है ।

हमने इस आर्टीकल में सामान्य रुप से कौनसे लग्न को किस प्रकार की बिमारीयो का सामना करना पडता है उसके बारें में जाना । डायबेटीस जैसी बिमारी, हार्ट ट्रबल जैसी बिमारी, कॅन्सर जैसी गंभीर बिमारी का जन्मकुंडली से अनुमान ये बिमारी होने के पहले किया जा सकता है । अगर व्यक्ती अपने स्वास्थ्य के बारें में गंभीर है तो इन बिमारिय़ा होने के पहले अपना खान पान चयन करके, योग तथा और कई व्यायाम करकेबिमारिय़ों से अपना बचाव कर सकता है ।


मेरे इसके पहले पब्लीश हुवे आर्टीकल पढे ।

१. आपके जन्मकुंडलीमें व्यवसाय ( Business ) करने के योग है या नोंकरी करने के योग है ?
https://npastrology.xn--11ba8bom9ab3cd9e6hcc.com/2019/09/business.html

२.क्या आपकी जन्मकुंडली में सरकारी नोकरी मिलने के प्रबल योग है ?
https://npastrology.xn--11ba8bom9ab3cd9e6hcc.com/2019/08/blog-post_28.html

३. क्या आपकी जन्मकुंडली में विदेश जाने का योग है ?
https://npastrology.xn--11ba8bom9ab3cd9e6hcc.com/2019/08/blog-post_31.html

४. कौनसा ज्योतिषशास्त्रीय योग एक रात में लोगोंको फ़ेमस बनाता है ?
https://npastrology.xn--11ba8bom9ab3cd9e6hcc.com/2019/08/blog-post.html

५. क्या आपकें जन्मकुंडली में राजयोग है ?

https://npastrology.xn--11ba8bom9ab3cd9e6hcc.com/2019/09/blog-post_7.html