नक्षत्रप्रकाश Astrology Blog in Hindi: विवाहमेलन में एकनाड या एकनाडी दोष का महत्व क्या है ?

Sunday, 1 September 2019

विवाहमेलन में एकनाड या एकनाडी दोष का महत्व क्या है ?


हर देश में समाज व्यवस्था का प्रमुख अंग विवाह संस्था है । विदेशो में विवाह किये बीना पती-पत्नी के तरह रहने की कानूनन अनुमती होती है । इस अनुमती के कारण कुछ विदेशो में विवाह का महत्व कम हो रहा है । भारतदेश में लिव्ह इन टुगेदर आज कानूनन होने से भी समाज का दबाव ऐसा है की माता पिता आसानीने लिव्ह इन को नही मानते । खास कर हिंदु धर्म में समाज के ये धारणा है की विवाह एक संस्कार है । इससे किसी भी असाधारण परिस्थिती में विवाह आसानी से टुटता नही । इसके कई फ़ायदे है ।

एक प्रमुख फ़ायदा ये है  सिंगल पॅरेंट वाले बच्चे की परवरीश में कभी कबार जो कमीया होती है वो नही होती । कुटुंबसंस्था ही अच्छे और स्वस्थ समाज को जन्म देती है ।  कुटुंबसंस्था समाजशास्त्र के अनुसार पिव्होटल रोल व्यक्ती और समाज के बीच निभाती है ।

कुटुंबसंस्था अच्छी हो इसलिए विवाहयोग्य युवक और युवतीयो को उनका लाईफ़ पार्टनर का चयन कैसे होता है, इसका बडा महत्व होता है । कई सारे निकष इस चयन में लगाए जाते है । युवती की उम्र कम हो । दोनो में  उम्र का फ़ासला जादा ना हो । वधु तथा वर एक ही जाती के हो इसके साथ साथ उनकी जन्मकुंडलीया भी मिलाई जाती है । उद्देश ये होता है की इस विवाह से बनने वाली कुटुंब व्यवस्था मजबूत हो । उनकी संतान को माता पिता के बीच झगडे होने की परेशानी ना हो । ये सिलसला चलता है तो एक आदर्श समाज बन जाता है ।

विवाह के लिए कुंडली मिलान के कई नियम सालो से बने है और चलते आ रहे है । पुरे भारत देश में इन नियमोंको बारें में दो राय नही है । दो राय इस बात में हो सकती है की विवाह में जन्मकुंडलीया मिलाई जाए या ना जाए । लेकीन अगर जन्मकुंडली मिलान करना तय हो जाए तो दक्षिण से लेकर उत्तर में और पुरब से लेकर पश्चिम में गुणमिलान के गुण ३६ है ।

इस गुणमिलान में कई तरह के दोष होने पर विवाह करना ठिक नही समझा जाता । जैसे लडके की चंद्र राशी से लडकी की चंद्र राशी छ्टे और अष्टम आने पर षडाष्टक योग कहा जाता है । इसके कारण लडके और लडकी के स्वभाव में अंतर होता है । अगर षडाष्ट्क दोष हो तो विवाह करना उचीत नही समझा जाता । इस तरह एकनाड दोष होने पर भी विवाह ना करने की सलाह दी जाती है ।

गुणमिलान की अगर तालीका अगर देखे तो सबसे अधिक गुण नाडी को दिये गये है । अगर  विवाह इच्छुक युवक और युवती दोनो की नक्षत्र के कारण आने वाली नाडी एक ही है तो उसे एक नाड दोष कहा जाता है ।

कौनसे ऐसे नक्षत्र है जिनका गुणमिलान करते वक्त ये एकनाड दोष आता है उसकी जानकारी लेते है ।


क्या होता है एकनाड दोष ? हर एक व्यक्ती का जन्म किसी नक्षत्र में होता है । लगभग एक पुरा दिन एक नक्षत्र में चंद्रमा स्थित होता है । उसके कारण जो भी इस नक्षत्र में जन्म लेता है वो नक्षत्र व्यक्ती का जन्मनक्षत्र कहलाता है ।


इस नक्षत्र से जुडा होता है नाडी । आयुर्वेद में जैसी वात पित्त और कफ़ तीन नाडी कहलाती है वैसे ज्योतिषशात्र में आद्य , मध्य और अंत्य ये तीन नाडीया है । इसका सिधा संबंध शरीर शास्त्र से है । कई स्कॉलरी आर्टीकल्स ज्योतिषशास्त्र की नाडी और आयुर्वेद की नाडीयो के बीच संबंध है इसका अध्ययन कर चुके है । इसके बारेमें और जानकारी के लिए ये आर्टीकल पढे ।



विवाह का उद्देश संतती को जन्म देना भी है । पती और पत्नी की एक नाडी होने से पत्नी को गर्भधारणा होने में दिक्कत होती है ऐसे माना गया है । लेकीन कोई स्कॉलरी आर्टीकल इस दोष का स्टॅटीस्टीकल अध्ययन करके ये सिध्द नही कर पाया की इससे गर्भधारणा में परेशानी होती है ।

जब युवक और युवती का एकही नक्षत्र होता है नक्षत्र चरण भिन्न होते है ऐसे स्थिती में गुणमिलान तालीका में ३६/३६ गुण आते है । इसका मतलब ये है जब २६ गुण ( नाडी के ८ गुण ) छोडकर मिलते है तो एकनाड दोष का कोई महत्व नही है ।

महाराष्ट्र में प्रकाशित होने वाला दातेपंचांग www.datepanchang.com हर साल प्रकाशित होने वाले पंचांग नाडीपादवेध कोष्टक याने तालीका प्रकाशित करते है । इस तालिका में नक्षत्र के चार चरणोंके अध्ययन से एकनाड दोष है या नही इसका सुक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है । अगर ये तालीका का प्रयोग करें तो पचास प्रतिशत एकनाड दोष सुक्ष्म दृष्टी से देखे तो वास्तव में नही है ।

इससे ये पता चलता है की युवक युवती का नक्षत्र एक ही हो तो एकनाडी दोष नही होता । और सुक्ष्म पध्दतीसे नक्षत्र के चार चरणोंका नाडीपादवेध तालीका में अध्ययन करे तो पचास प्रतिशत केसेस में एकनाडी दोष नही होता । फ़िर विवाह इच्छुक युवक और युवतीयों को और उनके माता पिता को भ्रमित करने वाला एकनाड या एकनाडी दोष है क्या ?

अगर पुराने जमाने की और देखे तो संतती नियमन का महत्व ना होने के कारण  पती पत्नी कई बालकोंको जन्म देते थे । उस जमाने में रोग को नियंत्रण करने के लिए कोई डॉक्टरी उपाय ना होने से  बालक की मृत्यु भी एक सामान्य घटना थी । अगर चार बच्चॊ को जन्म दे तो कमसे कम एक बुढापे का सहारा बने ये भावना होती थी ।

मॉडर्न सायन्स को देखे तो अगर स्त्री का ब्लड गृप निगेटीव्ह है और पुरुष का पॉजीटीव्ह है तो पहले संतती के जन्म के समय कोई बाधा नही आती । लेकीन दुसरी संतती के जन्म में बाधा आ सकती है । इसके बारें मे और जानकारी के लिए ये आर्टीकल पढे ।

 इसका इलाज भी आज उपलब्ध है । कई साल पहले ये इस दोष के लिए कोई उपाय मेडीकल सायन्स में नही था । इसके कारण कई लोगोंको एक से जादा संतती नही हुवा करती थी । शायद इस दोष को टालने के लिए ये एकनाड का दोष ज्योतिषशास्त्र में संमिलीत किया गया होगा ।
( ये मेरा अनुमान है । जिसका कोई प्रमाण नही है । )

एकनाड होने संतती होती ही नही ऐसा कोई इंटर्प्रिटेशन करता है तो गलत है । ज्योतिष के उपर संशोधन करने वाले लोगोंने एकनाड पर संशोधन करके उनको संतती हो सकती है ये सिध्द किया है । मेरा खुद का विवाह एकनाड दोष के बावजूद हुवा है । हमे एक संतती है ।
आज मेडीकल सायन्स आगे बढने से संतती ना होने के कई कारणो का इलाज संभव है । इसलीए और हम अनेक संतती की इच्छा नही रखते इसके कारण मेरे विचार में एकनाड दोष का महत्व आज के तारीख में नही है ।

विवाह इच्छुक युवक और युवतीयो को मै विश्वास दिलाना चाहता हू की इस एकनाड और संतती ना होने का कोई संबंध संशोधन में नही मिला है । इसलीए इस छोटी सी बात के लिए आपके पसंत युवक या युवती से विवाह करने में माता पिता अनुमती नही देते तो उनको ये आर्टीकल जरुर दिखाईये ।


विवाह गुणमेलन के बारेंमे और चिकीत्सा के लिए संपर्क करे

ज्योतिषशास्त्री नितीन जोगळेकर
चिंचवड पुणे
महाराष्ट्र 

whatsapp 9763922176

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