हर देश में समाज व्यवस्था का
प्रमुख अंग विवाह संस्था है । विदेशो में विवाह किये बीना पती-पत्नी के तरह रहने की
कानूनन अनुमती होती है । इस अनुमती के कारण कुछ विदेशो में विवाह का महत्व कम हो रहा
है । भारतदेश में लिव्ह इन टुगेदर आज कानूनन होने से भी समाज का दबाव ऐसा है की माता
पिता आसानीने लिव्ह इन को नही मानते । खास कर हिंदु धर्म में समाज के ये धारणा है की
विवाह एक संस्कार है । इससे किसी भी असाधारण परिस्थिती में विवाह आसानी से टुटता नही
। इसके कई फ़ायदे है ।
एक प्रमुख फ़ायदा ये है सिंगल पॅरेंट वाले बच्चे
की परवरीश में कभी कबार जो कमीया होती है वो नही होती । कुटुंबसंस्था ही अच्छे और
स्वस्थ समाज को जन्म देती है ।
कुटुंबसंस्था समाजशास्त्र के अनुसार पिव्होटल रोल व्यक्ती और समाज के बीच
निभाती है ।
कुटुंबसंस्था अच्छी हो इसलिए विवाहयोग्य युवक और युवतीयो को उनका लाईफ़ पार्टनर
का चयन कैसे होता
है, इसका बडा महत्व होता है । कई सारे निकष इस चयन में लगाए
जाते है । युवती की उम्र कम हो । दोनो में
उम्र का फ़ासला जादा ना
हो । वधु तथा
वर एक ही जाती के हो इसके साथ साथ उनकी जन्मकुंडलीया भी मिलाई
जाती है । उद्देश ये होता है की इस विवाह से बनने वाली कुटुंब व्यवस्था मजबूत हो ।
उनकी संतान को माता पिता के बीच झगडे होने की परेशानी ना हो । ये सिलसला चलता है तो एक
आदर्श समाज बन जाता है ।
विवाह के लिए कुंडली मिलान के कई नियम सालो से बने है और चलते आ रहे है । पुरे
भारत देश में इन नियमोंको बारें में दो राय नही है । दो राय इस बात में हो सकती है
की विवाह में जन्मकुंडलीया मिलाई जाए या ना जाए । लेकीन अगर जन्मकुंडली मिलान करना
तय हो जाए तो दक्षिण से लेकर उत्तर में और पुरब से लेकर पश्चिम में गुणमिलान के
गुण ३६ है ।
इस गुणमिलान में कई तरह के दोष होने पर विवाह करना ठिक नही समझा जाता । जैसे
लडके की चंद्र राशी से लडकी की चंद्र राशी छ्टे और अष्टम आने पर षडाष्टक योग कहा
जाता है । इसके कारण लडके और लडकी के स्वभाव में अंतर होता है । अगर षडाष्ट्क दोष
हो तो विवाह करना उचीत नही समझा जाता । इस तरह एकनाड दोष होने पर भी विवाह ना करने
की सलाह दी जाती है ।
गुणमिलान की अगर तालीका अगर
देखे तो सबसे अधिक गुण नाडी को दिये गये है । अगर
विवाह इच्छुक युवक और युवती दोनो की नक्षत्र के कारण आने वाली नाडी एक ही है
तो उसे एक नाड दोष कहा जाता है ।
कौनसे ऐसे नक्षत्र है जिनका
गुणमिलान करते वक्त ये एकनाड दोष आता है उसकी जानकारी लेते है ।
क्या होता है एकनाड दोष ? हर एक व्यक्ती का जन्म किसी नक्षत्र में होता है ।
लगभग एक पुरा दिन एक नक्षत्र में चंद्रमा स्थित होता है । उसके कारण जो भी इस
नक्षत्र में जन्म लेता है वो नक्षत्र व्यक्ती का जन्मनक्षत्र कहलाता है ।
इस नक्षत्र से जुडा होता है नाडी । आयुर्वेद में जैसी वात पित्त और कफ़ तीन नाडी
कहलाती है वैसे ज्योतिषशात्र में आद्य , मध्य और अंत्य ये तीन नाडीया है । इसका
सिधा संबंध शरीर शास्त्र से है । कई स्कॉलरी आर्टीकल्स ज्योतिषशास्त्र की नाडी और
आयुर्वेद की नाडीयो के बीच संबंध है इसका अध्ययन कर चुके है । इसके बारेमें और जानकारी के लिए ये आर्टीकल पढे ।
विवाह का उद्देश संतती को जन्म देना भी है । पती और पत्नी की एक
नाडी होने से पत्नी को गर्भधारणा होने में दिक्कत होती है ऐसे माना गया है । लेकीन
कोई स्कॉलरी आर्टीकल इस दोष का स्टॅटीस्टीकल अध्ययन करके ये सिध्द नही कर पाया की
इससे गर्भधारणा में परेशानी होती है ।
जब युवक और युवती का एकही नक्षत्र
होता है नक्षत्र चरण भिन्न होते है ऐसे स्थिती में गुणमिलान तालीका में ३६/३६ गुण आते
है । इसका मतलब ये है जब २६ गुण ( नाडी के ८ गुण ) छोडकर मिलते है तो एकनाड दोष का
कोई महत्व नही है ।
महाराष्ट्र में
प्रकाशित होने वाला दातेपंचांग www.datepanchang.com हर साल
प्रकाशित होने वाले पंचांग नाडीपादवेध कोष्टक याने तालीका प्रकाशित करते है । इस
तालिका में नक्षत्र के चार चरणोंके अध्ययन से एकनाड दोष है या नही इसका सुक्ष्म
अध्ययन किया जा सकता है । अगर ये तालीका का प्रयोग करें तो पचास प्रतिशत एकनाड दोष
सुक्ष्म दृष्टी से देखे तो वास्तव में नही है ।
इससे ये पता चलता है की युवक युवती का नक्षत्र एक ही हो तो एकनाडी दोष नही होता
। और सुक्ष्म पध्दतीसे नक्षत्र के चार चरणोंका नाडीपादवेध तालीका में अध्ययन करे तो
पचास प्रतिशत केसेस में एकनाडी दोष नही होता । फ़िर विवाह इच्छुक युवक और युवतीयों को
और उनके माता पिता को भ्रमित करने वाला एकनाड या एकनाडी दोष है क्या ?
अगर पुराने जमाने की और देखे तो संतती नियमन का महत्व ना होने के कारण पती पत्नी कई बालकोंको जन्म देते थे । उस जमाने
में रोग को नियंत्रण करने के लिए कोई डॉक्टरी उपाय ना होने से बालक की मृत्यु भी एक सामान्य घटना थी । अगर
चार बच्चॊ को जन्म दे तो कमसे कम एक बुढापे का सहारा बने ये भावना होती थी ।
मॉडर्न सायन्स को देखे तो अगर स्त्री का ब्लड गृप निगेटीव्ह है और पुरुष का
पॉजीटीव्ह है तो पहले संतती के जन्म के समय कोई बाधा नही आती । लेकीन दुसरी संतती
के जन्म में बाधा आ सकती है । इसके बारें मे और जानकारी के लिए ये आर्टीकल पढे ।
इसका इलाज भी आज उपलब्ध है । कई साल
पहले ये इस दोष के लिए कोई उपाय मेडीकल सायन्स में नही था । इसके कारण कई लोगोंको
एक से जादा संतती नही हुवा करती थी । शायद इस दोष को टालने के लिए ये एकनाड का दोष
ज्योतिषशास्त्र में संमिलीत किया गया होगा ।
( ये मेरा अनुमान है । जिसका कोई
प्रमाण नही है । )
एकनाड होने संतती होती ही नही ऐसा कोई इंटर्प्रिटेशन करता है तो गलत है ।
ज्योतिष के उपर संशोधन करने वाले लोगोंने एकनाड पर संशोधन करके उनको संतती हो सकती
है ये सिध्द किया है । मेरा खुद का विवाह एकनाड दोष के बावजूद हुवा है । हमे एक
संतती है ।
आज मेडीकल सायन्स आगे बढने से संतती ना होने के कई कारणो का इलाज संभव है ।
इसलीए और हम अनेक संतती की इच्छा नही रखते इसके कारण मेरे विचार में एकनाड दोष का
महत्व आज के तारीख में नही है ।
विवाह इच्छुक युवक और युवतीयो को मै विश्वास दिलाना चाहता हू की इस एकनाड और
संतती ना होने का कोई संबंध संशोधन में नही मिला है । इसलीए इस छोटी सी बात के लिए
आपके पसंत युवक या युवती से विवाह करने में माता पिता अनुमती नही देते तो उनको ये
आर्टीकल जरुर दिखाईये ।
विवाह गुणमेलन के बारेंमे और चिकीत्सा के लिए संपर्क करे
ज्योतिषशास्त्री नितीन जोगळेकर
चिंचवड पुणे
महाराष्ट्र
whatsapp 9763922176


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