नक्षत्रप्रकाश Astrology Blog in Hindi: क्या आपकें जन्मकुंडली में ये पांच अशुभयोग है ?

Sunday, 8 September 2019

क्या आपकें जन्मकुंडली में ये पांच अशुभयोग है ?


पिछले दो आर्टीकल में हमने ये देखने की कोशीश की व्यक्ती कब अपना बिझनेस कर पाता है और कब उसे नोकरी करनी पडती है इस आर्टीकल को अच्छे से समझने के लिए हमने राजयोग की चर्चा की अगर आप बिना ये दो आर्टीकल पढ रहे है तो बिनती है की ये दो आर्टीकल पढे ये अशुभ योग का आर्टीकल ना पढे नीचे दो आर्टीकल की लिंक दे रखी है उन दो आर्टीकल्स को ये आर्टीकल से पहले पढे ता के पुरा विषय अच्छे से समझ में जाए



अगर आपकी जन्मकुंडली में अशुभ योग है तो जन्मकुंडली में जो राजयोग है उनका फ़ल मिलना मुश्किल हो जाता है उसके कई कारण है किसी व्यक्ती की सोच ही उसको आगे बढाती है  

 हर कोई जो तरक्की करना चाहता है उसने ये बात समझना अत्यंत आवश्यक है की जन्मकुंडली के अच्छे ग्रह हमे पहले अच्छी सोच रखने में सहाय करते है सही दिशा में सोचके और उसपर कारवाई करके छोटासा यश मिलता है उससे व्यक्ती का आत्मविश्वास बढता है आत्मविश्वास उसे और सही दिशा में फ़ोकस करने की प्रेरणा देता है उससे कम प्रयत्नो में अच्छा यश प्राप्त होता है ये सिलसीला व्यक्ती को तरक्की देता है

विरासत में मिला धन अगर सोच सही नही हो तो धिरे धिरे बढने के बजाय कम होता  है अगर सोच सही नही हो तो तरक्की या तो नही होती या फ़िर व्यक्ती अपनी सामाजीक और आर्थीक स्थिती से और नीचले स्तर पर चला जाता है

अच्छी सोच या तरक्की को बढावा देने वालॊ सोच को व्यक्ती तभी आगे बढा सकता है जब उसे शारिरीक या मानसीक परेशानी ना हो जन्मकुंडली में छटा स्थान शारिरीक बिमारियो को दर्शता है   कोई अशुभ योग छटे , आठवे और बारहवे स्थान को लेकर होता है तो वो कई कई साल व्यक्ती को बिमारियो के साथ झुंझता है इसे मानसीक व्यस्तता भी जादा होती है व्यक्ती की क्रिएटीव्ह पॉवर कम हो जाती है रिसोर्सेस होने के बावजूद व्यक्ती तरक्की कर नही पाता क्यो की २४ घंटे वो बस बिमारी के बारेंमे सोचता रहता है।

इस तरह के अशुभ योग शनि और केतू एक ही स्थान पर साथ साथ होने से या फ़िर छटे और आठवे स्थान के स्वामी साथ साथ बाराहवे स्थान में जाने से ऐसा अशुभ योग बनता है शनि और केतू का साथ होना ज्योतिष बिना सिखे ही समझमे आता है अगले चित्र में शनि और केतू का अशुभ योग जन्मकुंडली के साथ साथ नवमांश कुंडली ( D9 ) में भी है ।  अगर किसी के जन्मकुंडली में ऐसा अशुभ योग हो तो व्यक्ती कई कई साल शारिरीक व्याधी के कारण परेशान होता है । अपने व्यवसाय में पुरा समय तो देता है लेकीन क्रियेटीव्ह सोच नही दे पाता । इसके कारण तरक्की के अवसर को गवा देता है ।

 दुसरा अशुभ योग शनि और राहू के एकही स्थानपर साथ साथ होने से होता है । इसको सामान्य रुप से पितृदोष कहा जाता है । शनि और राहू जन्मकुंडली में एकही स्थान पर हो साथ में नवमांश कुंडली में भी एक ही स्थान में हो या अगली या पिछली राशी में हो तो ये अशुभ योग पडा प्रबल होता है । अगले चित्र में ऐसे योग और देखकर इसका अनुमान किया जा सकता है ।



शनि और राहू जन्मकुंडली तथा नवमांश कुंडली में साथ साथ होने से व्यक्ती को किसी कार्य में यश मिलना संभव नही होता । उसके सारे कष्ट सही दिशा में होने पर भी कुछ ऐसी परिस्थितीया आती है की आखीर कष्ट व्यर्थ हो जाते है । ये व्यक्ती अपने सामाजीक और आर्थिक स्तर से कभी आगे नही जा पाता । या फ़ीर कुछ सार उसे यश नही मिलता और कर्जे में डुब जाता है ।

ऐसा कहा जाता है की  यश पाने में व्यक्ती सही दिशामें ९० % प्रयत्न और १०% भाग्य का साथ मिलना आवश्यक होता है जब शनि राहू जन्मकुंडली तथा नवमांश कुंडली में साथ साथ होने से १० % भाग्य का साथ नही मिलता और ९०% प्रयत्न होने पर भी यश नही मिलतास।  बार बार ऐसा होने से व्यक्ती निराश हो जाता है अगली बार उसका आत्मविश्वास डगमगाता है ऐसी अवस्था में व्यक्ती फ़िरसे प्रयत्न करने के बजाय अपने भाग्य को कोसता रहता है

तिसरा अशुभ योग को पुराने ज्योतिषीयोंने चांडाल योग कहा है । इस योग में गुरु राहू के साथ एक ही स्थान में होता है । नवमांश कुंडली में भी गुरु राहू एक ही स्थान में दिखाई दे या फ़िर एक दुसरे के आगे या पिछले स्थान पर दिखाई दे तो ये अशुभ योग निश्चित रुप से होता है । इसका कोई स्थायी उपाय नही है । इस योग में व्यक्ती किसी दुसरे व्यक्ती कें बारें मे बिना मतलब गलत सोच रखता है । वहम का शिकार हो जाता है । किसीने समझाने पर भी उसकी गलत धारणा बदलती नही । इसके कारण व्यक्ती किसी दुसरे व्यक्ती के उपर विश्वास ना करने से आगे बढ नही पाता ।

 चौथे प्रकार के अशुभ योग  जन्मकुंडली तथा नवमांश कुंडली में राहू और चंद्रमा साथ साथ होने से बनता है । ऐसे योग में व्यक्ती कई दिन तकी बुरी मानसीकता का शिकार होता है । बुरे खयाल उसे अपने काम में एकाग्रता नही देते । अगर रुटीन काम हो तो व्यक्ती कर लेता है लेकीन नये काम में concentrate कर नही पाता है बुरे खयाल व्यक्ती की मानसिक स्थिती को बिगाड के रख देते है मानसिक स्थिती को सुधारने वाली दवाईया या तो उसे गहरी नींद में ले जाती है और फ़िर अगले दिन नींद ना खुलने की वजह से नशा सा मेहसूस करता है इस स्थिती में रोज काम या तो हो नही पाता या फ़िर अच्छा नही हो पाता और तरक्की नही होती

अगले चित्र में आप देखेंगे चंद्रमा और राहू से बनने वाला अशुभ योग जन्मकुंडली और नवमांश कुंडली में कैसे दिखता है













अगर आपकी जन्मकुंडली और नवमांश कुंडली में ऐसा अशुभ योग हो तो व्यक्ती को इसका स्थायी रुप के इलाज के लिए चंद्रमा याने मन को ठीक करने के प्रयास में जुटना चाहीये शास्त्रोमें कहा है, अच्छा भोजन व्यक्ती के मन को नियंत्रीत करता है अगर मन की स्थिती ठीक हो तो सोच ठीक होती है इसके साथ और भी कुछ ज्योतिषशास्त्रीय प्रभावी रेमीडीज है जिसे जन्मकुंडली देखकर बताया जा सकता है

अशुभ योग का पांचवा प्रकार भी है इसी प्रकार चंद्रमा केतू के साथ लग्नकुंडली और नवमांश जन्मकुंडली में होने से भी अशुभ योग बनता है कई दुकानोंमे ये लिखा होता है की गुस्सा अक्ल को खा जाता है कई असे काम व्यक्ती गुस्सा होने बिगड जाते है चंद्र और केतू के साथ होने से व्यक्ती किसी भी कारण क्रोधी हो जाता है क्रोध होने से वो काम आसानी ने पुरा करनेंका मार्ग नही सुझता कई बार जिंदगी में मिलने वाली असफ़लता इस गुस्से से मिलती है व्यक्ती गुस्सा हो कर आसान मार्ग छोडकर कठीण मार्ग अपनाता है लेकीन प्रयत्न करनेसे व्यक्ती इस स्वभाव पर नियंत्रण पा सकता है

 ज्योतिषशास्त्र अशुभयोग के बारें ये नही कहता की आपके जन्मकुंडली में अशुभ योग है तो आपकी जिंदगी विफ़ल है ऐसे कई सारे उपाय कुछ अशुभ योग में एकबार करने से या बार बार करने से अशुभयोगोंका असर कम होता है अगर धुंद हो तो जैसे वाहन का चालक चालक वाहन को धिरे और एकाग्र हो कर चलाता है उसी तरह अशुभ योग हो तो जिंदगी आगे बढ सकती है लेकिन धिमे गती से वैसे तो हर कोई तेज गती से आगे बढ सके ये संभव नही है

आपके जन्मकुंडली और चिकीत्सा के लिए मुझे निचे दिये whatsapp पर संपर्क करे और मार्गदर्शन पाईये ।

ज्योतिषशास्त्री नितीन जोगळेकर
चिंचवड पुणे
महाराष्ट्र
whatsapp 9763922176

No comments:

Post a Comment