हर व्यक्ती ये चाहता है के मैं अच्छी पढाई करु और अच्छे खासे पैसे कमाऊ । हर किसी
के दिल में ये खयाल आता है की अगर जादा जरुरत है तो जादा पैसे कमाने का रास्ता है व्यवसाय
याने की बिझनेस । हर किसी के दिमाख में ये बात भी की मैं बिझनेस तब कर सकता हू जब मेरे
पास इनवेस्टमेंट के लिए पैसा हो । जो सच्चा बिजनेस जानने वाला होता है या ऐसे खोज में
लगा रहता है की बिना इनवेस्टमेंट से भी पैसे कमाये जा सकते है । कई बार इनवेस्टमेंट
के लिए पैसे होते है, लोग पैसे बिझनेस में लगाते है लेकीन नुकसान होता है ।
ऐसा कोई फ़ॉर्म्युला नही है की इस बिझनेस में पैसे लगाकर सिर्फ़ मुनाफ़ा होता है ।
बिझनेस से मुनाफ़ा कमाना या पैसा कमाना एक आर्ट है जो हर किसी के पास होना संभव नही । आप बिझनेस कम्युनिटी में जन्मे
हो या ना हो, जिसके पास ये कला है वो किसी भी बिझनेस को अच्छे से चलाता है और धन कमाता
है । जिसके पास ये कला ना हो वो किसी भी बिझनेस से धन नही कमा सकता ।
कुंडली पर आधारीत ज्योतिष की ये खुबी है की व्यक्ती का जन्म होने के तुरंत बाद
ये बताया जा सकता है की व्यक्ती व्यवसाय या व्यापार में नाम/यश और पैसा कमा सकता है
या नही । आजके आर्टीकल का यही उद्देश है ।
राशीया ( signs ) १२ होती है ये तो सब
जानते है । अंतरीक खुबीयो के कारण राशीयो के कई प्रकार से वर्गीकरण (
classification ) होते है । चर राशी, स्थिर राशी और द्विस्वभाव राशी ये एक प्रकार का
वर्गीकरण ज्योतिषशास्त्र सिध्दांतो मे किया गया है ।
चर राशीयो में मेष, कर्क, तुला और मकर ये चार राशीयो वर्गीकृत किया गया है । जन्मकुंडली
में इन राशीयों को १,४,७,१० अंक से पहचाना जा सकता है ।
स्थिर राशीयो में वृषभ, सिंह , वृश्चिक और कुंभ ये चार राशीयो वर्गीकृत किया गया है । जन्मकुंडली
में इन राशीयों को २,५,८,११ अंक से पहचाना जा सकता है ।
द्विस्वभाव राशीयो में मिथुन, कन्या, धनु और मीन ये चार राशीयो वर्गीकृत किया गया
है । जन्मकुंडली में इन राशीयों को ३,६,९,१२ अंक से पहचाना जा सकता है ।
चर राशीयो की खुबी ये है की ये राशी के लोग तेज हरकते कर सकते है । तेजी से सोचते
है और उन्हे हरदम नयी चिजे पसंत होती है । अगर ये राशीया लग्न स्थान में हो तो व्यक्ती बिझनेस करने के
एक पात्रता पाता है । लग्न स्थान जन्मकुंडली का प्रमुख स्थान है । जिससे व्यक्ती की
इच्छाए, सोचने का तरीका तथा यश की मात्रा समझी जा सकती है ।
निचे दिये गये चित्र से आपको लग्नस्थान समझने में आसानी होगी ।
इस लग्न स्थान में चर राशी हो तो व्यक्ती बिना थके कई कई घंटे अपने आप को काम में
व्यस्त रख सकता है । ये खुबी लग्नस्थान में स्थिर राशी होने पर नही होती । सामन्य रुप
से ये लोक आठ घंटा काम करके घर जाना चाहते है । इतवार कें दिन वो आराम करना चाहते है
| सामान्य रुप से इसी कारण या तो वो व्यवसाय याने बिझनेस नही करना चाहते और अगर करे
तो यश और पैसा कमाने में पिछे रह जाते है ।
द्विस्वभाव राशी अगर लग्नस्थान में हो तो सामान्य रुपसे ये लोग तेजी से निर्णय
नही कर पाते । व्यवसाय में ये खुबी अती आवश्यक होती है । द्विस्वभाव राशी में लग्नस्थान
में बलवान मंगल होने से ये कमी दुर हो सकती है । अन्यथा जहा हर समय निर्णय लेने पडते
हो ऐसे व्यवसाय में या नोकरी में भी तरक्की करना इनके लिए सामान्य रुप से संभव नही
होता |
अब व्यवसाय करने के लिए सप्तम स्थान और दशम स्थान इन दो स्थानोंका स्वामी भी बलवान
होना आवश्यक होता है । या फ़िर इस स्थान में जिन ग्रहों को व्यापार या व्यवसाय के लिए
उपयुक्त माना गया है ऐसे ग्रह होना आवश्यक होता है । बुध और शुक्र सप्तम स्थान में होने से सामन्य रुप से दुकानदारी
स्वरुप के व्यवसाय में व्यक्ती को आवश्यक खुबीया प्रदान करते है ।
इस नियम को देखने से ये भी पता होगा की हर किसी के जन्मकुंडली में सप्तम स्थान
में इन ग्रहो का होना संभव नही है । बुध का स्वयं की राशी में होना या वायु राशी में
होना बिझनेस कें लिए अच्छा होता है । बुध की स्वयं की राशी होती है मिथुन जो वायु राशी
है और कन्या भी बुध की राशी होती है । इसके अलावा तुला और कुंभ राशी का बुध व्यक्ती
को बुध्दीमान बनाता है । जिससे व्यक्ती को व्यावसायीक निर्णय लेने में आसानी होती है
।
ज्योतिषशास्त्र में शुक्र संपत्ती का मालीक
कहा गया है । शुक्र वृषभ या तुला राशी में होने से व्यवसाय में संपत्ती का स्वरुप प्रत्यक्ष
धन हो या फ़िर स्टॉक हो, उसका रखरखाव या व्यवस्थापन सही दिशा में होता है । लग्न का
स्वामी, सप्तमस्थान का स्वामी, दशम स्थान का स्वामी तथा बुध और शुक्र जन्मकुंडली में
वक्री ( Retrogate ) ना हो ये भी आवश्यकता होती है ।
इसके अलावा, हर कोई व्यवसाय में निर्णय लेने के लिए साहस की आवश्यकता होती है ।
ये साहस तिसरे स्थान या उसका स्वामी प्रदान करता है । साथ में छटे स्थान का मालीक अनुकूल
हो तो जिस व्यवसाय में नोकरो (
Employee ) की जादा आवश्यकता होती है वो जल्दी से और जिम्मेदार
लोग मिलते है । छटे स्थान की अनुकूलता ना होने पर कम नोकर वाले व्यवसाय का चयन करना
पडता है | या फ़िर ऐसा व्यवसाय करना पडता
जिसमें निर्णय लेने वाले भी आप होते है और काम करने वाले भी स्वयं होते है । ऐसे व्यवसाय में व्यवसाय की वृध्दी जल्द नही होती
और इसके कारण व्यवसाय में यश नही मिलता ।
इसके अलावा जन्मकुंडली में कई राजयोग होना अती आवश्यक है । जिससे यश मिलना आसान
होता है । राजयोग क्या होता है ये समझने के लिए आपको मेरे अगले आर्टीकल का इंतजार करना
होगा । साथ में जन्मकुंडली को खराब करने वाले अशुभ योग जैसे शनि-राहू , गुरु-राहू ना
हो ये भी आवश्यकता है ।
इतना सब पढने से आपके ये समझाने में आसानी होगी अगर फ़िरसे ये सारी बाते आप संक्षीप्त
में पढे । बिझनेसमन या एन्टरप्रेनर बनने के लिए व्यक्ती की जन्मकुंडली में कुछ विशेष
ग्रहस्थिती और राशीयो का सही स्थान में होना आवश्यक है । व्यवसायी को हर वक्त सुझबुझ
से काम करना पडता है । अगर वो हर बार सही निर्णय करे तो यशस्वी होता है । सामान्य रुपसे
निचले स्तर पर नोकरी में ये स्थिती नही होती । सिर्फ़ निर्णय करने वाले लोग छोडकर कर
७० से ८० प्रतिशत लोग किसी और के निर्णय के अनुसार काम करते है
। उनको निर्णय करने की अनुमती बहोत कम होती है । कई बडे ऑरगनायझेशन में एसओपी (
standard operating procedure ) बनायी जाती
है । ७० से ८० प्रतिशत लोग लगभग हर काम में एसओपी को फ़ॉलो करके अपना काम करते है ।
उनकी योग्यता दिखाई दी तो ही आगे बढते है ।
जो व्यक्ती सेल्स में काम करता
है या ऐसे क्षेत्र में काम करता है जहा उसे फ़िक्स सॅलरी अलावा सेल्स
इन्सेंटीव्ह भी मिलता है, उस जॉब को व्यवसाय समझना चाहीये । इस व्यक्ती के अपने डिसीजन
मेकींग से या मेहेनत से आमदनी पर सिधा प्रभाव होता है | इसलिये इस जॉब को व्यवसाय से
समान समझना जरुरी है । अगर आपका इन्सेंटिव्ह हर साल बढ रहा है तो समझीये की आपको नोंकरी
छोडकर व्यवसाय में जाने की आवश्यकता नही है ।
इतना सब विश्लेषण को समझने
के बाद क्या मैं बिझनेस कर सकता हू ? या मेरे लिए जॉब ही उचीत है ये समझने के लिए निचे
दिये सुची के साथ अपनी जन्मकुंडली को समझना जरुरी है ।
अनु.
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आपके जन्मकुंडली इन खुबीयो सें मिलती हो तो अधिकतम
अंक मिलते है
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अंक
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प्राप्त अंक
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१)
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क्या मेरी जन्मकुंड लग्नस्थान
या प्रथम स्थान में चर राशी ( १,४,७,१० ) है ?
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२०
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२)
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क्या मेरे जन्मकुंडली में
बुध ३,६,७, या ११ राशी में स्थित है ?
( उपर लिखी राशीयोंमे
बुध वक्री होने पर १० अंक और वक्री ना होने पर अधिकतम २० अंक ) बुध इन राशीयो
में ना होने पर ५ अंक |
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२०
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३)
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क्या मेरे जन्मकुंडली में
शुक्र २,७, या १२ नंबर की राशी में स्थित है ?
( उपर लिखी राशीयोंमे
शुक्र वक्री होने पर १० अंक और वक्री ना होने पर अधिकतम १५ अंक ) शुक्र इन राशीयो में ना होने पर ५ अंक |
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१५
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४)
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तिसरे स्थान में मंगल या
राशीके मालिक मंगल होने पर अधिकतम १० अंक । ना होने पर ५ अंक ।
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१०
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५)
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लग्न का स्वामी, सप्तमस्थान का स्वामी, दशम स्थान का स्वामी जन्मकुंडली में वक्री ( Retrogate ) ना हो तो पुरे १५ अंक । अगर एक
भी स्वामी वक्री होने से ५ अंक कम करे ।
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१५
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६)
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जन्मकुंडली में एक राजयोग
होने पर १० अंक। तीन राज योग होने से अधिकतम ३० अंक ।
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३०
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१००
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आपके कुंडली में कितने राजयोग है ये जानने के लिए आपको मेरे अगले आर्टीकल का इंतजार
करना होगा ।
किसी ग्रह को वो वक्री है या
नही ये समझने के लिए जन्मकुंडली के अलावा आपको स्पष्टग्रह नामकी तालीका देखनी होगी
। जिसमें अगर ग्रह वक्री है तो उसके सामने R लिखा होगा ।अगला चित्र
आपको स्पष्टग्रह की तालीका कैसे दिखती है ये दिखाएगा । इसमें आप ग्रह वक्री है या नही
इसके बारेंमे जान सकते है ।
राशी का
अंक |
राशी का
नाम |
राशी का
स्वामी |
१
|
मेष
|
मंगल
|
२
|
वृषभ
|
शुक्र
|
३
|
मिथुन
|
बुध
|
४
|
कर्क
|
चंद्रमा
|
५
|
सिंह
|
सुर्य
|
६
|
कन्या
|
बुध
|
७
|
तुला
|
शुक्र
|
८
|
वृश्चिक
|
मंगल
|
९
|
धनु
|
गुरु
|
१०
|
मकर
|
शनि
|
११
|
कुंभ
|
शनि
|
१२
|
मीन
|
गुरु
|
ये अंको का टेबल में १००/१०० गुण होने के बावजूद कभी कबार कुछ दशा ऐसी होती है जिसमें असफ़लता का सामना कर पड सकता है । ये ज्योतिष का और जटील विषय है । अगर आप ऐसी स्थिती में परेशान है तो मेरे whatsapp 9763922176 अवश्य संपर्क करे और मार्गदर्शन पाए ।
ज्योतिषशात्री
नितीन जोगळेकर
चिंचवड
पुणे
महाराष्ट्र
whatsapp 9763922176


usefull information
ReplyDeleteNice n very simple...☝️
ReplyDeleteमस्त सर...हिंदी माध्यमातून हि समजायला अडचण झाली नाही😊😊😊👍👍👍👍👍
ReplyDeleteखूप छान समाजवून सांगितले सर , धन्यवाद
ReplyDeleteछान माहिती
ReplyDeletesopya shabdat khoop chhan mahiti.
ReplyDeleteChart main how many puts should come? For business
ReplyDeleteछान
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