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| Engineering Career |
भारत में इंजिनीयर्स की संख्या और समस्या ।
हर साल भारत देश मे २०१४-२०१५ साल में करीबन १७ लाख स्टुडंट्स की सीट्स
थी । याने १७ लाख स्टुडंट्स का दाखला हो सकता था । कई सारी इंजिनीयरींग कॉलेजेस बंद
होने के कारण ये उपलब्ध सीट्स घटकर २०१७-२०१८ में लगभग १५ लाख हुई है
। इसमें भी लगभग आधी सीट्स व्हेकंट है । याने
पिछले कुछ साल से इंजिनीयरींग में अॅडमिशन लेने वालो की संख्या कम हो रही है । क्यु
हो रहा है ये सब ? एकही कारण है । इंजिनीयरींग ग्रॅज्युएटस को जॉब नही मिलते । इसका एक ही कारण है
। जरुरत से जादा लोग इंजिनीयरींग में अॅडमिशन ले रहे थे । उतनी जॉब मार्केट में नही
है । इस देश की अर्थव्यवस्था में GDP लगातार बढ रहा है इसके बावजूद इंजिनीयरिंग के
जॉब नही बढ रहे है । इसके भी पिछे अर्थशास्त्र का संकेत है डिमांड से जादा सप्लाय ।
भारत देश में या दुनिया में जरुरत से जादा इंजिनीयर होगे तो उनको जॉब मिलने वाली नही
है ।
क्या सचमुच इंजिनीयर्स को जॉब नही मिल रही है ?
इंजिनीयर्स के लिए आज भी जॉब है लेकीन ये जॉब सही जॉब नही है । सही जॉब वो है जहा
इंजिनीयर प्रॉडक्ट या प्रोसेस का डिझाईन करता है । इंजिनीयर का जॉब वो है जहा क्वालिटी
में खामिया रहती है वहा प्रोसेस में सुधार लाना । Productivity को बढना । अगर ऐसा जॉब
उपलब्ध है तो सही जॉब है । इसमें इंजिनीयर की value addition होने से मिलने वाली सॅलरी
भी अच्छी होती है । आज सही जॉब ना मिलने के कारण जो जॉब ग्रॅज्युएट इंजिनीयर ले रहे
है वो क्वॉलिटी इन्सपेक्टर के है । जिसके लिए Diploma Engineer या फ़िर Experienced
Technician/ ITI एक सही Qualification है । इसके कारण सही सॅलरी के जॉब उपलब्ध नही
है ।
तो क्या इंजिनियरींग में दाखला नही लेना चाहीये ?
इसका अर्थ ये नही की भारत में अब इंजिनीयर्स की आवश्यकता नही है । अगर किसी का
पॅशन इंजिनीयरींग है तो उसने इंजिनीयरींग करना चाहीये । कैसे जानेंगे की किसी लडके
या लडकी ने इंजिनीयरींग में दाखला करना चाहीये या नही ? जन्मकुंडली से इसबात का ग्यान
हो सकता है । इंजिनीयरींग में किसी भी स्टुडंट का रुझान है ये उसकी Reasoning
Apptitude, और Intelligence से पता की जा सकती
है । बुध ये ग्रह बुध्दी याने Intelligence का कारक होता है । साथ में इंजिनीयरींग
में स्पीड की आवश्यकता होती है । इंजिनीयर्स को फ़ास्ट डिसीजन मेकींग करना पडता है ।
ये स्पीड देने वाला ग्रह मंगल है ।
जन्मकुंडली में बुध और मंगल ग्रह कें शुभ योग होने से इंजिनीयरींग का रुझान दिखता
है ।
सबसे अच्छा शुभयोग बुध और मंगल का नवपंचम योग है । इसका मतलब दोनो के बीच अगर १२०
अंश ( +- ५ अंश ) हो तो उसे नवपंचम योग कहा जाता है । मंगल और बुध नवपंचम करते समय
अगर वायु राशी में विद्यमान हो तो इंटेलिजन्स साथ में स्पीड दोनो होते है । जिससे हर नयी टेक्नोलोजी को जल्द समझना उनके लिए आसान हो जाता है
। किसी भी नये ग्यान को ग्रहण करने का उनका स्पीड तेज होता है ।
Successful IT Engineer/Design Engineer बनने के लिए कोनसे योग आवश्यक है ?
मैंने स्वयं एच आर मॅनेजर होने के कारण
कई Successful IT Engineer/Design Engineer के जन्मकुंडलीयोंका परिक्षण करके ये जाना है । बुध और मंगल का वायु राशी में ( मिथुन, तुला और कुंभ राशी ) नवपंचम
योग होता है । साथ में जन्मकुंडली में बलवान गुरु केंद्र स्थान में होना आवश्यक है
। अगर जन्मकुंडली में ऐसे योग है तो व्यक्ती
को अच्छे इंजिनीयरींग कॉलेज में Admission पाने के लिए Enterence Exam पास होने में
आसानी होती है । साथ में अच्छे मार्क्स से इंजिनीयरींग पास होना संभव होता है ।
और कौनसे ऐसे योग है जो Successful
Engineer बनने के लिए आवश्यक है ?
जन्मकुंडली में भुमी राशी में भी ( वृषभ ,कन्या और मकर ) बुध और मंगल का नवपंचम
योग होने से व्यक्ती Successful Engineer बनने की उम्मीद रख सकता है । इस योग में Successful IT
Engineer/Design Engineer बनने की उम्मीद कम होती है लेकीन व्यक्ती Successful Mechanical Engineer या Civil Engineer जरुर
बन सकता है । कुछ हद तक बुध और मंगल का युती योग और केंद्र योग में भी उम्मीद होती है ।
Successful Electrical/Electronics Engineer बनने के लिए कोनसे योग आवश्यक है
?
Successful Electrical/Electronics Engineer बनने के लिए जन्मकुंडली में बुध/मंगल
और हर्षल का नवपंचम योग वायु राशी में होना आ्वश्यक है । बुध और मंगल का हर्षल के साथ लाभ योग होने से भी ये काम चल जाता है
। बुध और मंगल का हर्षल के साथ योग वायु राशी में ना हो कर अगर अग्नी राशी में ( मेष/ सिंह या धनु ) में होने से भी
काम चल जाता है ।
इस आर्टीकल में हमने इंजिनीयरींग ability की चर्चा की है । अच्छे पद पर काम करने
के लिए दशम स्थान के संबंध में राजयोग का होना आवश्यक होता है । लेकीन इंजिनीयरींग ability व्यक्ती को Job
Satisfaction जरुर दिलाती है ।

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